Last modified on 22 मई 2018, at 16:19

ओले / उषा यादव

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:19, 22 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उषा यादव |अनुवादक= |संग्रह=51 इक्का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अपना फ्रिज खराब जब होता,
तो हम पड़ते मुश्किल में।
पाकर यही मुसीबत परियाँ,
दुख पाती होंगी दिल में।

उनका फ्रिज शायद टूटा है,
फ्रीजर भी है चकनाचूर।,
ट्रे में जमी बर्फ गिरने से,
होंगी वे हैरान जरूर।

कैसे झेलेंगी बेचारी,
गर्मी के दाहक शोले।
हम बच्चे तो हँसकर कहते,
नभ से गिरते हैं ओले।