हो झालो दे छे रसिया नागर पनां।
सारां देखैं लाज मरां छां आवां किण जतनां॥
छैल अनोखो क्यों कहयो मानै लोभी रूप सनां।
'रसिकबिहारी' लणद बुरी छै हो लाग्यो म्यारो मनां॥
हो झालो दे छे रसिया नागर पनां।
सारां देखैं लाज मरां छां आवां किण जतनां॥
छैल अनोखो क्यों कहयो मानै लोभी रूप सनां।
'रसिकबिहारी' लणद बुरी छै हो लाग्यो म्यारो मनां॥