Last modified on 1 सितम्बर 2018, at 14:55

एक दरिया में बहता पानी है / ब्रह्मजीत गौतम

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:55, 1 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रह्मजीत गौतम |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक दरिया में बहता पानी है
ज़िन्दगी की यही कहानी है

चंद साँसें हैं, दुःख हैं, सुख हैं
कैसी उम्दा ये बाग़बानी है

अब्र छूने का जोश जिसमें नहीं
कैसे कह दें कि वह जवानी है

झूठ के साथ है खड़ी दुनिया
कितनी मुश्क़िल में हक़बयानी है

उम्र-भर का विलाप और तड़पन
प्यार की बस यही निशानी है

कर लिया है प्रबन्ध जन्मों का
यह सियासत की मेह्‌रबानी है

‘जीत’ इस भीड़ में न खो जाना
 यह नहीं गाँव, राजधानी है