Last modified on 3 सितम्बर 2018, at 17:40

चौपाल / नंदेश निर्मल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:40, 3 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदेश निर्मल |अनुवादक= |संग्रह=चल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आज लगा चौपाल गाँव में
मुखिया जी का भाषण होगा
बहस चलेगी बिदया की बस
जिस पर जनमत आज बनेगा।

आज लगा चौपाल गाँव में
मुखिया जी का भाषण होगा।

रामू काका कल कहते थे
अब सूरज आकाश चड़ा है
लेकर अब अंगड़ाई दिनकर
शिक्षा का विस्तार करेगा।

आज लगा चौपाल गाँव में
मुखिया जी का भाषण होगा।
ज़िम्मेदारी जन जन का यह
आज देश परवान चढ़ेगा
तभी विश्व में अपना भारत
सौ का सौ विद्वान बनेगा।

आज लगा चौपाल गाँव में
मुखिया जी का भाषण होगा।
 
सबके कपड़े एक तरह के
नहीं भेद निर्धन से होगा
अब कल्लू धोबी का बेटा
एक ठाट में साथ चलेगा।

आज लगा चौपाल गाँव में
मुखिया जी का भाषण होगा।

सब साधन जब पास खड़ा है
आज जगा कर चलने खातिर
मूढ़ नहीं जो रूक कर ताकें
जगत, गुरू फिर भारत होगा।

आज लगा चौपाल गाँव में
मुखिया जी का भाषण होगा।