तिमिर निगल जाता है,
शुभ्र दमक लाता है,
जीवन में दूधिया जुन्हाई-सा प्यार!
सपनों की सीमा में
साधों का कर थामे
मंज़िल तक लाता तरुणाई-सा प्यार!
दर्द के समर्पण को
मौत के निमंत्रण को
टाल-टाल जाता हरजाई-सा प्यार!
विश्व रूठ जाये तो
आस टूट जाये तो
पर्वत से टकराता राई-सा प्यार!