भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
उँचो माळो डगमाळ, टोंगल्या बूडन्ती ज्वार।।
काचा सूत की बजरंग बली की गोफण,
सावळ राणी होर्या टोवण जाई।।
हरमी-धरमी का होर्या उड़ी जाजो,
ने पापी का खाजो सगळो खेत।।
-बजरंग बली का महल ऊँचा है और ज्वार घुटने से ऊपर तक की है। बजरंग
बली की गोफण कच्चे सूत की बनाई है। सावल रानी तोते उड़ाने जाती हैं।
धरमी के खेत छोड़कर तोतो, पापी का खेत सारा चुग लेना। हनुमानजी की पत्नी
सावल रानी को माना है।