Last modified on 5 सितम्बर 2018, at 13:12

मेंहदी गीत / भील

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 5 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKLokRachna |भाषा=भील |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> खेड़ि-खड़ि काइ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

खेड़ि-खड़ि काइ रेते कर्या।
खेड़ि-खड़ि काइ रेते कर्या।
जड़ि गुयो मेहंदी नो बीज।
हात रंग्या पाय रंग्या।
जड़ि गुयो मेहंदी नो बीज।
रंग चुवे।

- हे बनी! जमीन मंे हल चलाकर, मेहंदी का बीज ढूँढा। बीज बोया, तब जाकर मेहंदी का पौधा तैयार हुआ। वही मेहंदी हमने तेरे हाथ-पैर में लगा दी है। देखो! मेहंदी का रंग कैसे खिल रहा है?