Last modified on 5 सितम्बर 2018, at 15:42

निहाली गीत / 3 / भील

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:42, 5 सितम्बर 2018 का अवतरण (Sharda suman ने निहाली गीत / भील पृष्ठ निहाली गीत / 3 / भील पर स्थानांतरित किया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तारो माटि कालगो आवे वो, बांगड़ भड़के झुणि वो।
बयड़ि आतर ढुलगि वाजिवो, बांगड़ भड़के झुणि वो।
तारो माटि कालगो आवे वो, बांगड़ भड़के झुणि वो।
तारो माटि दीत्यो आवे वो, रेसमि भड़के झुणि वो।
तारो माटि जुवान्स्यो आवे वो, धनि भड़के झुणि वो।
बयड़ी आतर ढुलगि वाजीवो, बांगड़ भड़के झुणि वो।

- बारात में महिलाएँ गीत गाती हैं-

टेकरी की ओट में ढोलगी बजी है। बाँगड (समधन) चमक मत जाना। तेरा खसम कौन आ रहा है? बाँगड़ चकमना मत। तेरा खसम दीत्या आ रहा है, रेशमी चमकना मत। तेरा खसम जुवानसिंह आ रहा है, धनी चमकना मत।