राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दो आना पाना ये म्हारो फूल कनेर को,
किस्तूरी परमल ये लेऊं घर आंगनो।
को को कार घलावो, ये सिंहासन बैसनो,
मोती चौक पुरावो ये सिंहासन बैसनो।
जा लाड़ा बैठावो ये भूवा बहना कर आरती।
भूवा बहना बड़ी बड़गोती रो आरतो।
सासू निरखै जवांठ ये पाछै टेली ओलिया,
वाकां कमर में कमर बन्द, ये सिर सोवेला सेवरो।
चतरु साला में देख ये म्हारी किसी कै सोहे लाड़ली
वाकै नैना काजल, ये सिर सोह लाल चून्दड़ी
भूवा बहना करै आरती।