राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बधावो जी राज बधाओ म्हारे घर आयो,
बधावो जी बेटो जायो बधावो बहू घर आय,
सियाला की रुत आई चतरसाल में सेज बिछाई,
मृग नयनी ने उरै ये बुलाई, लडुवां स गोद भारई
लडुवा स गोद भराई, तू तो बाट सगां की जाई,
तू तो बाट सगां की जाई, थारी घर घर होवेली बड़ाई
उन्धाला की रुत आई, डागलिये सेज बिछाई
मृग नयनी ने उरै ये बुलाई, कच्चा मेवा से गोद भराई,
तू तो बाट सगां की जाई,
चौमासा की रुत आई, बंगला मंे सेज बिछाई,
चंदावदनी ने उरै बुलाई, ओला से गोद भराई,
ओला से गोद भराई, तू तो बाट सगां की जाई