माँ सरस्वती मुझको वर दे, वीणा वादिनी मुझको वर दे।
मन में मेरे ज्ञान ध्यान भर, मेरे मन को हर्षित कर दे॥
प्रेमचन्द ने कफन लिख दिया,
मुध शाला बच्चन ने दे दी।
बाल्मीकि ने लिख रामायण,
श्री कृष्ण ने गीता दे दी ॥
गंगा सा मेरा मन कर दे, वीणा वादिनी मुझको वर दे।
माँ सरस्वती मुझको वर दे,वीणा वादिनी मुझको वर दे॥
नये नये मैं गीत सुनाऊँ,
जहाँ भी जाऊँ गुणतेरे गाऊँ।
जहाँ भी चर्चा चले माँ तेरी,
इस धरती पर बलिबलि जाऊ॥
मेरा मन कुन्दन सा कर दे, वीणा वादिनी मुझको वर दे।
माँ सरस्वती मुझको वर दे, वीणा वादिनी मुझको वर दे॥
युगों युगों से गाता आया,
युगों युगों से लिखता आया।
उसने ही रच दी लीला,
सदा जो तेरा भक्त कहाया॥
मेरे मन में गीता भर दे, वीणा वादिनी मुझको वर दे।
माँ सरस्वती मुझको वर दे, वीणा वादिनी मुझको वर दे।