घूमूँगा बस प्यार तुम्हारा
तन मन पर पहने
पड़े रहेंगे बंद कहीं पर
शादी के गहने
चिल्लाते हैं गाजे बाजे
चीख रहे हैं बम
जेनरेटर करता है बक बक
नाच रही है रम
गली मुहल्ले मजबूरी में
लगे शोर सहने
सब को खुश रखने की खातिर
नींद चैन त्यागे
देहरी, आँगन, छत, कमरे सब
लगातार जागे
कौन रुकेगा, दो दिन इनसे
सुख दुख की कहने
शालिग्राम जी सर पर बैठे
पैरों पड़ी महावर
दोनों ही उत्सव की शोभा
फिर क्यूँ इतना अंतर
मैं खुश हूँ, यूँ ही आँखों से
दर्द लगा बहने