Last modified on 7 मार्च 2019, at 11:58

होरी में / सतीश मिश्रा

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:58, 7 मार्च 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सतीश मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह=दुभ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चल, झूम, नाच संग संग गोरी! होरी में!
घर, अंगना, डेउढ़ी गलियारा
मठ, गिरिजा, मस्जिद, गुरुद्वारा
सब के रंग दे एक रंग गोरी! होरी में
चाहे मरद होए, चाहे महिला
कोई न बड़का, छोटका, मंझिला
सब एक देह के अंग गोरी! होरी में।
एक जात सब एक धरम हे।
सबसे ऊँचा नेक करम हे।
करम से पावन गंग गोरी! होरी में।
बाँटी, माटी, चाम के झगड़ा
ई अप्पन, ऊ आन के रगड़ा
पी पीस बना के भंग गोरी! होरी में।
खंजरी, ढोलक, झाल के अइसन
रंग अबीर गुलाल नियन बन
सुर एक, एक बन रंग गोरी! होरी में।