यह हँसी-आँसू, उदासी-मुस्कराहट,
क्या सभी अवसान के आते पदों की क्षीण आहट ?
सामने है मौत की काली, खड़ी दीवार,
क्या इसी भय से उपजता हर हृदय में प्यार ?
यह हँसी-आँसू, उदासी-मुस्कराहट,
क्या सभी अवसान के आते पदों की क्षीण आहट ?
सामने है मौत की काली, खड़ी दीवार,
क्या इसी भय से उपजता हर हृदय में प्यार ?