डॉ. वर्तिका नन्दा भारत की जानी-मानी जेल सुधारक, लेखिका और मीडिया शिक्षक हैं। वर्तिका लीक से हटकर काम करती हैं और अपराध पत्रकारिता को लेकर नए प्रयोग करती हैं। एक महिला होने के बावजूद तिनका तिनका की अनूठी श्रृंखला के जरिए वर्तिका ने खौफ देती जेलों में यह स्थापित किया है कि मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल भी हो सकता है।
शैक्षिक योग्यता: एम ए ( मास कम्यूनिकेशन), पीएच.डी (प्रिंट मीडिया में बलात्कार की रिपोर्टिंग)
जन्म तिथि: 17 अप्रैल
व्यवसाय: मीडिया शिक्षण, लेडी श्री राम कॉलेज, नई दिल्ली
कार्यक्षेत्र: वे जालंधर दूरदर्शन में एशिया की सबसे छोटी एंकर बनीं और आतंकवाद के दौर में अपनी उम्र के बच्चों के लिए प्रेरणा भी। 21 साल के सफर में वे जी टीवी, एनडीटीवी, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली और लोकसभा टीवी से जुड़ीं। वे लोकसभा टीवी की पहली एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर बनीं और उसके नींव से निर्माण तक की बुनियादी टीम का प्रमुख हिस्सा रहीं। भारतीय जनसंचार संस्थान में तीन साल तक बतौर एसोसिएट प्रोफेसर जुड़ी रहीं। वे भारतीय टेलीविजन की उन गिनी-चुनी महिला पत्रकारों में से हैं जो अपराध पत्रकारिता से जुड़ीं और एनडीटीवी में इस बीट की प्रमुख भी बनीं। अपने कैरियर की पराकाष्ठा पर एक भली तनख्वाह की नौकरी को छोड़ उन्होंने मीडिया शिक्षण को चुना और मीडिया के छात्रों के लिए उपयोगी बनने की कोशिश की। फिलहाल वे दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष हैं ।
विशेष सम्मान: भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित। यह भारत की महिलाओं को दिया जाने वाला देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। भारत सरकार से 2007 में भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान प्राप्त। जेलों पर अपने काम की वजह से दो बार लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शामिल। देश की तीन जेलों के लिए परिचय गान लिखे जिन्हें जेल के ही बंदियों ने गाया।
जेलों पर किताबें: तिनका तिनका तिहाड़ ( 2013), तिनका तिनका डासना( 2016) और तिनका तिनका मध्य प्रदेश(2018 )
मीडिया पर किताबें: मीडिया और बाजार ( 2018), टेलीविजन और क्राइम रिपोर्टिंग ( 2010) , ख़बर यहां भी ( 2014), टेलीविजन और अपराध पत्रकारिता ( 2005)
काव्य संकलन: रानियां सब जानती हैं (2015 ), थी. हूं..रहूंगी... ( 2012), मरजानी ( 2011)
जेल सुधार पर विशेष: देश की 1382 जेलों की अमानवीय स्थिति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई का हिस्सा हैं। 2018 में जस्टिस एमबी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने जेलों में महिलाओं और बच्चों की स्थिति की आकलन प्रक्रिया में शामिल किया।
उन्होने कैदियों के लिए देश के पहले ख़ास सम्मानों तिनका तिनका इंडिया अवार्ड्स और तिनका तिनका बंदिनी अवार्ड्स की शुरूआत की। यह पुरस्कार हर साल राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस और महिला दिवस पर पर जेलों में सृजन कर रहे बंदियों को दिए जाते हैं।
पता (कार्यालय): लेडी श्री राम कॉलेज, लाजपत नगर IV, नई दिल्ली
ई मेल : tinkatinkaorg@gmail.com
साइट : www.tinkatinkaprisonreforms.org
ब्लॉग : www.vartikananda.blogspot.com