Last modified on 4 अक्टूबर 2019, at 13:00

गोडसे जी / कुमार मुकुल

Kumar mukul (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:00, 4 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार मुकुल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

काम हैं गब्‍बर से
और सूरत है भोलीगोडसे जी आप खूब
करते हो ठिठोली

पहले छूते हो पांव
फिर मारते हो गोलीअदा है खूब लो यह
अक्षत,चंदन, रोली।