भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गोडसे जी / कुमार मुकुल
Kavita Kosh से
काम हैं गब्बर से
और सूरत है भोली
गोडसे जी आप खूब
करते हो ठिठोली
पहले छूते हो पांव
फिर मारते हो गोली
अदा है खूब लो यह
अक्षत,चंदन, रोली।