Last modified on 15 मई 2020, at 09:21

दिन / ओमप्रकाश सारस्वत

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:21, 15 मई 2020 का अवतरण (Mukesh negi (वार्ता) द्वारा किए बदलाव 94694 को पूर्ववत किया)

दिन
लिख रहे हैं धुंध
कुंद हो रहा उजास
आस क्या करे?

पहाड़
पढ़ रहे हैं बर्फ
सर्द पड़ी रही उमंग
रंग क्या करे?

सूर्य
दे रहा दग़ा
जगा न भोर का हुलास
हास क्या करे?

रक्त
रेत पर लुटा
उगा न गंध न पराग
राग क्या करे?

धूप
बादलों में रोए
ढोए मिन्नतें हज़ार
प्यार क्या करे?