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मोरनाच / निदा फ़ाज़ली

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देखते-देखते
उसके चारों तरफ
सात रंगों का रेशम बिखरने लगा

धीमे-धीमे कई खिड़कियाँ सी खुलीं
फड़फड़ाती हुई फ़ाख़्ताएँ उड़ीं
बदलियाँ छा गईं

बिजलियों की लकीरें चमकने लगीं
सारी बंजर ज़मीनें हरी हो गईं

नाचते-नाचते
मोर की आँख से
पहला आँसू गिरा
खूबसूरत सजीले परों की धनक
टूटकर टुकड़ा-टुकड़ा बिखरने लगी
फिर फ़ज़ाओं से जंगल बरसने लगा
देखते-देखते