Last modified on 30 अप्रैल 2022, at 15:00

सिगरेट / शेखर सिंह मंगलम

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:00, 30 अप्रैल 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेखर सिंह मंगलम |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कई साल जला कर
सिगरेट की तरह पी गया।

होंठ उन सालों की सिसकियाँ बटोरे हुए हैं;
धुआँ फूँकने के पहले नशा था
कुछ जलन भी।

धुआँ फूँकने के बाद
न तो नशा उतर पाया और
न ही जलन मद्धम हुई,
आने वाला साल भी जल जाएगा
इसी नशे में, इसी जलन में..

शायद, जब फेफड़ा जल जाएगा
तब खुमारी समझदारी में उतर जाएगी किन्तु
फेफड़ा जल जाने के बाद
मैं समझदारी का क्या करूँगा?