Last modified on 22 मई 2022, at 10:52

औरतें / देवेन्द्र आर्य

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:52, 22 मई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवेन्द्र आर्य |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धुन्धलके में ही रहती आईं औरतें
धुन्धली धुन्धली
यादों की तरह
यादों के धुन्धलके में रहती हैं औरतें

औरतें यादों की तरह बची रहना चाहती हैं
दुनिया में

औरतें पीठ पर लादे रोशनी
धुन्धलके में क्यों रहना चाहती हैं