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मेरी परछाईं / वेणु गोपाल

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ठीक हाथों में मेरे

मैं

कि जैसे वो पहाड़, वो बादल, वो पेड़,

स्बेरा भी
मेरे हाथों में,

झाँकता हूँ
कि देखता हूँ

तुम

कि जैसे मेरा शरीर, मेरा समय मेरा संसार,

और
उनके पीछे
उनकी परछाईं की जगह
मेरी परछाईं।

ठीक हाथों में मेरे

मेरे साथ
मेरे पीछे-पीछे
चलती हुई।

रचनाकाल : 24 अप्रैल 1980