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चट्टानों का जलगीत / वेणु गोपाल
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चट्टानों का जलगीत
| रचनाकार | वेणु गोपाल | 
|---|---|
| प्रकाशक | शीर्षक प्रकाशन, गढ़ रोड, हापुड़-245101 (उत्तरप्रदेश) | 
| वर्ष | 1980 | 
| भाषा | हिन्दी | 
| विषय | |
| विधा | |
| पृष्ठ | 112 | 
| ISBN | |
| विविध | 
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
वक़्त होता हुआ चेहरा
- उड़ते हुए / वेणु गोपाल
 - हर हाल में बेजोड़ / वेणु गोपाल
 - भविष्य / वेणु गोपाल
 - मेरे साथ / वेणु गोपाल
 - घर लौटते हुए / वेणु गोपाल
 - समारम्भ / वेणु गोपाल
 - तैयारी / वेणु गोपाल
 - जवाब देना है / वेणु गोपाल
 - उपजाऊ थकान / वेणु गोपाल
 - जेठ का महीना / वेणु गोपाल
 - साल की आख़िरी रात / वेणु गोपाल
 - यात्री-भूमिका में / वेणु गोपाल
 - मेरा वर्तमान / वेणु गोपाल
 - फूल-1 / वेणु गोपाल
 - फूल-2 / वेणु गोपाल
 - फूल-3 / वेणु गोपाल
 - पत्थरों में गोताखोरी-1 / वेणु गोपाल
 - पत्थरों में गोताखोरी-2 / वेणु गोपाल
 - पत्थरों में गोताखोरी-3 / वेणु गोपाल
 - पत्थरों में गोताखोरी-4 / वेणु गोपाल
 
यही समय है--प्यार!
- कविता की ओर / वेणु गोपाल
 - पुकार / वेणु गोपाल
 - मेरी परछाईं / वेणु गोपाल
 - याद-1 / वेणु गोपाल
 - याद-2 / वेणु गोपाल
 - बीच में समन्दर / वेणु गोपाल
 - उपाय / वेणु गोपाल
 - सृष्टि का पहला क्षण / वेणु गोपाल
 - मुसीबत की घडियों में / वेणु गोपाल
 - जिस्म और सपने / वेणु गोपाल
 - बचाव / वेणु गोपाल
 - एक अंधेरी बातचीत / वेणु गोपाल
 - हासिल कर लेता हूँ / वेणु गोपाल
 - प्यार का वक़्त / वेणु गोपाल
 - जब हम तुम मिले-1 / वेणु गोपाल
 - जब हम तुम मिले-2 / वेणु गोपाल
 - जब हम तुम मिले-3 / वेणु गोपाल
 - जब हम तुम मिले-4 / वेणु गोपाल
 
आइना होते हैं--दोस्त!
- ख़ुद अपनी ही प्रतीक्षा में (अंधेरे में आईना और तुम) / वेणु गोपाल
 - ख़ुद अपनी ही प्रतीक्षा में (मौत के कान नहीं होते) / वेणु गोपाल
 - ख़ुद अपनी ही प्रतीक्षा में (बंदी समुद्र के बंदी तुम) / वेणु गोपाल
 - ख़ुद अपनी ही प्रतीक्षा में (शर्तों का गणित) / वेणु गोपाल
 - ख़ुद अपनी ही प्रतीक्षा में (सुरक्षा के करतब) / वेणु गोपाल
 - ख़ुद अपनी ही प्रतीक्षा में / वेणु गोपाल
 - गोया आइने में चले गए हो / वेणु गोपाल
 
मेरे सामने है--वह!(लम्बी कविता)
	
	