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पत्थरों में गोताखोरी-2 / वेणु गोपाल
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गोताख़ोर
उतर कर
पत्थरों में
अपने को देखता है
आईनों में तैरते हुए
उजाले के मानिंद
मुस्कुराता है
अंधेरे भागते हैं
और समुद्र में डूब जाते हैं
रचनाकाल : 18 मई 1980