भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
फूल-1 / वेणु गोपाल
Kavita Kosh से
फूल
इन्तज़ार करता है
एक अदद हाथ का
- मंच पे आने के बाद
लेकिन
अक्सर
परदा
उठने से
पहले ही
पसीने और मिट्टी में
लथपथ होकर
हाथ
सब-कुछ भूल चुका
होता है
फूल के बाबत।
(रचनाकाल : 23.05.1979)