तेज़ मुक्के मारे धारासार इतने
अंधेरा था जहाँ गली में
वहीं गिर गया
मेरी हथेली पर
सब लाल लाल
लटके थे
ताम्बाई ताबीज़ गोधूलि के
--रोशनी
गली बाहर
चेहरा वह छिछड़ गया जो
दिखा नहीं फिर
तेज़ मुक्के मारे धारासार इतने
अंधेरा था जहाँ गली में
वहीं गिर गया
मेरी हथेली पर
सब लाल लाल
लटके थे
ताम्बाई ताबीज़ गोधूलि के
--रोशनी
गली बाहर
चेहरा वह छिछड़ गया जो
दिखा नहीं फिर