Last modified on 21 मई 2023, at 00:02

लोहा / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:02, 21 मई 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त |अनुवादक=मोहन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कल रात स्वप्न में
मैंने एक
भयँकर तूफ़ान देखा

एक पाड़ भी
उसकी चपेट में आया
सारी सलाखें उखड़ गईं
जो सख़्त लोहे की थीं

लेकिन
जो कुछ
लकड़ी का था
वह झुका और कायम रहा।

(1953)

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल