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तुम नहीं / मरीना स्विताएवा

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तुम कभी नहीं भगा सकोगे मुझे !
बहार को क्या कोई ठुकराता है !
अपनी उंगली से भी छू नहीं सकोगे तुम मुझे :
सुला देंगे तुम्हें मेरे मादक मधुर गीत !

निंदा नहीं कर सकोगे तुम मेरी
होठों के लिए पानी है मेरा नाम !
तुम छोड़ नहीं सकोगे मुझे कभी :
खुला है द्वार और घर-- खाली !


रचनाकाल : 24 जुलाई 1919

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह