Last modified on 18 जनवरी 2025, at 09:58

समांतर / ऋचा दीपक कर्पे

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:58, 18 जनवरी 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋचा दीपक कर्पे |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

उम्मीदें तुमसे कुछ थी ही नही
तो नाउम्मीदी की कोई वजह भी नहीं
ना ही तुमने दिखाए ऐसे कुछ सपने
जिनके टूट जाने का डर हो!

ना मुझसे दूर हो तुम
ना पास हो,
लेकिन, इस वक्त मेरे साथ हो..
हमेशा रहोगे या नही
ऐसा कोई वादा तुमने किया नही है
और चले जाओगे छोड़कर
ऐसा मुझे लगता तो नही है

तुम आज हमसफ़र हो मेरे
चल रहे हैं हम
अपनी-अपनी धूप अपने रंग,
अपना आसमान साथ लिए
समांतर रेखाओं की तरह
यह जानते हुए कि
समांतर रेखाएं भी कभी मिली हैं कहीं!