Last modified on 21 जुलाई 2006, at 14:49

मैं बनी मधुमास आली / महादेवी वर्मा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:49, 21 जुलाई 2006 का अवतरण

लेखिका: महादेवी वर्मा

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

मैं बनी मधुमास आली!

आज मधुर विशाद की घिर करुण आई यामिनी
बरस सुधि के इन्दु से छिट्की पुलक की चांदनी
उमड, आई री, द्रगों में
सजनि, कालिन्दी निराली!

रजत स्वप्नों में उदित अपलक विरल तरावली,
जाग सुक-पिक ने अचानक मदिर पन्चम तान ली;
बह चली निशःवास की म्रदु
बात मलय-निकुन्ज वाली!

सजल रोमो में बिछी है पांवडे मधुस्नात से,
आज जीवन के निमिष भी दूत हैं अग्यात से
क्या न अब प्रिय की बजेगी
मुरली मधुराग वाली?

मैं बनी मधुमास आली!