Last modified on 23 जनवरी 2009, at 22:10

हवाई हमला / अवतार एनगिल

कल एक मायावी जादूगर
उलटा साफा सर परपर बाँधे
आकाश मार्ग से आया

मुँह बाए
चकित-भर्मित
ठगा सा
रह गया मैं


लम्बी टोपी उतारकर
जादुगर ने
उसपर डंडा घुमाया
उसमें से कबूतर उड़ाया
और एक सतरंगा डिब्बा
गिद्ध के सफेद पंख से लटाकार
हमारी बैठक तक पहुँचा
ठीक से सजा दिया

देखते –देखते
करोड़ों बच्चे
नींद, किताब और भूख भूलकर
मायावी दर्पण के गिर्द
घूमने लगे......
नाचने लगे ।

देखते-देखते
लाखों सैनिक
मुक्ति गीत गाते हुए
कैद हो गए

देखते-देखते
गुणी जन
जादुगर के सामने
कवायद करने लगे

कहीं कोई सायरन बहीं बजा
किसी ने हथियार नहीं उठाया
फिर भी वह आया
और हम दास बन गये-
एक बार फिर
(मुक्त होने तक....)