Last modified on 3 फ़रवरी 2009, at 17:36

रात / केशव

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:36, 3 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=धूप के जल में / केशव }} Category:कविता <poem> ल...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लंबी
सवालों से जगमगाती
रात
     चलती रही
देह से देह तक
सड़क से सड़क तक
चौराहे पर पहुँच
अँधेरे को गाड़ दिया
उसने खम्भे की तरह
       बीचों–बीच

अब
उसके पास बचे थे सवाल
और सवाल
जवान हो चुके थे
उन्हें गोद से उतार
उनकी उँगली थाम ली उसने
और चलती रही
जंगल से जंगल तक
पहाड़ से पहाड़ तक

अब बचा था एक सवाल
सिर्फ एक सवाल
और सवाल का चेहरा
भर चुका था झुर्रियोँ से
जिसे छड़ी की तरह टेकती
रास्ता टटोलती
चलती रही
रात
    अँधेरे से अँधेरे तक
</[Poem>