{{KKRachna
|रचनाकार=तुलसी रमण
|संग्रह=पृथ्वी की आँच / तुलसी रमण
}}
नींद सोयी लोमड़ी को
एक रात दबा लेता
माघ : एक बाघ
सुबह तक आधी बर्फ़ में
डूब जातीं औरतें
और आधी छिप जातीं
घास-पत्ती के बोझ में
जब से आता रहा माघ
डूबती रही औरतें
जुलाई 1998
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