भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
औरतें: छ / तुलसी रमण
Kavita Kosh से
नींद सोयी लोमड़ी को
एक रात दबा लेता
माघ : एक बाघ
सुबह तक आधी बर्फ़ में
डूब जातीं औरतें
और आधी छिप जातीं
घास-पत्ती के बोझ में
जब से आता रहा माघ
डूबती रही औरतें
जुलाई 1998