मैं हिंदू हूँ मैं मुस्लिम हूँ मैं मस्जिद मैं मंदिर हूँ
मैं पूजा हूँ मैं नमाज़ हूँ म्लेच्छ और मैं क़ाफ़िर हूँ
मैंने अस्मत लूटी मैंने छुरा घोंप कर मारा है
ऐसे पुण्य कमाया वैसे अपराधी मैं शातिर हूँ
मैंने कलियों को रौंदा है मैंने फूलों को मसला
माली की नज़रों से फिर भी ओझल हूँ मैं जाहिर हूँ
मैंने जाम पिलाए सबको मैंने ज़हर मिलाया है
आग लगाकर हाथ सेंकने लड़वाने में माहिर हूँ
मैं तो ईश्वर का बंदर हूँ देश-वेश मैं क्या जानूँ
अवध, हैदराबाद, मुंबई जहाँ कहो मैं हाज़िर हूँ