Last modified on 10 मई 2009, at 14:08

बेटियाँ / कुँवर बेचैन

सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:08, 10 मई 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बेटियाँ-

शीतल हवाएँ हैं

जो पिता के घर बहुत दिन तक नहीं रहतीं

ये तरल जल की परातें हैं

लाज़ की उज़ली कनातें हैं

है पिता का घर हृदय-जैसा

ये हृदय की स्वच्छ बातें हैं

बेटियाँ -

पवन-ऋचाएँ हैं

बात जो दिल की, कभी खुलकर नहीं कहतीं

हैं चपलता तरल पारे की

और दृढता ध्रुव-सितारे की

कुछ दिनों इस पार हैं लेकिन

नाव हैं ये उस किनारे की

बेटियाँ-

ऐसी घटाएँ हैं

जो छलकती हैं, नदी बनकर नहीं बहतीं