क्या से क्या हो रहा हूँ
छाल तड़क रही है
किल्ले फूट रहे हैं
बच्चों की हँसी में
मुस्करा रहा हूँ।
फूलों की पाँत में
गा रहा हूँ।
रचनाकाल :
क्या से क्या हो रहा हूँ
छाल तड़क रही है
किल्ले फूट रहे हैं
बच्चों की हँसी में
मुस्करा रहा हूँ।
फूलों की पाँत में
गा रहा हूँ।
रचनाकाल :