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चक्र / गिरधर राठी

जितनी देर पी मैं ने शराब

कई जगह उगे सूर्य कई जगह डूब गए

उड़े वायुयान मिले दिल तारे टूट गए

पत्तियाँ लहराईं चट्टानें फिसलीं

लाशें हुईं दफ़्न


जितनी देर मैंने पी शराब