Last modified on 27 जून 2009, at 22:09

लाचार / कविता वाचक्नवी

चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:09, 27 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता वाचक्नवी }} <poem> '''लाचार''' देवताओं! क्यों तुम...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


लाचार


देवताओं!
क्यों तुम सदा से
लाचार रहे इतने
कि तुम्हारे अग्निहोत्र की पवित्रता
भ्रष्ट कर गया अधम राक्षस कोई
और तुम
पुकारते रहे किसी द्वार जाकर
सहायता के मंत्र
और क्यों
हर बार, सीता को निमित्त बना
रामों को करना पड़ता है
दुष्टों के संहार का अध्यवसाय?
/poem