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कोमल अमल दल कमल नवल कैँधौँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)

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कोमल अमल दल कमल नवल कैँधौँ ,
कीन्होँ है विरँचि सब छवि को सहेट है ।
उदित प्रभाकर की दुति आनि छाई कैधौँ ,
चमकत चारु खात लोचन रपेट है ।
सुँदर थली है भली मदन बिराजिबे की ,
जाके सम कीन्हेँ होत उपमा तरेट है ।
चीकनो परम मखमल ते नरम ऎसो ,
प्यारीजू को पेट लेत मन को लपेट है ।


रीतिकाल के किन्हीं अज्ञात कवि का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।