भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अज्ञात कवि (रीतिकाल)
Kavita Kosh से
अज्ञात कवि (रीतिकाल)
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | |
---|---|
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
रीतिकाल के कवि | |
जीवन परिचय | |
अज्ञात कवि (रीतिकाल) / परिचय |
प्रतिनिधि रचनाएँ
- न्हातई न्हात तिहारेई स्याम कलिन्दजा स्याम भई बहुतै है / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- मायके के बिरह मयँकमुखी दुखी देखि / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- रुचि पाय झवाय दई मेँहदी तेहिको रँग होत मनौ नगु है / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- कामरी कारी कँधा पर देखि अहीरहिँ बोलि सबै ठहरायो / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- हौँ तो आजु घर से निकरि कर दोहनी लै / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- अब दोय घरी दिन शेष रह्यो पथ जात गुलाब सु ठीक नहीँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- ननँद निनारी सासु माइके सिधारी / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- साँझ ही स्याम को लेन गई सुबसी बन मे सब जामिनि जायकै / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- अलि दसे अधर सुगन्ध पाय आनन को / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- बड़े व्यभिचारी कुलकानि तजि डारी / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- खाय गईँ खसम भसम को रमाय लाईँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- पावतो अहार मन भावतो अधिक / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- दाम की दाल छदाम के चाउर घी अँगुरीन लैँ दूरि दिखायो / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- पौढ़ि कै किवारे देत घरै सबै गारी देत / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- घोँघन मे बसिके न मिलै रस जे मुकतान पे चोँच चलैया / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- योगी वही जो रँगै मन आपनो आन सुसँग मे ध्यान लगावै / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- ज्ञान घटे ठग चोर की सँगति मान घटे पर गेह के जाये / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- पीनस वारो प्रवीन मिलै तो कहाँ लौ सुगंधी सुगँध सुँघावै / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- आँधरे को प्रतिबिम्ब कहा बहिरे को कहा सुर राग की तान / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- दाख पकी तब चोँचौ पकी जब बीन बज्यो बहिरो भयो कानो / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- जानत जे हैँ सुजान तुम्हैँ तुम आपने जान गुमान गहे हो / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- भारी घोड़सारन तलावन तिलाक लिख्यो / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- आहि कै कराहि कांपि कृश तन बैठी आय / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- कोऊ न आयो उहाँ ते सखी री जहाँ मुरलीधर प्रान पियारे / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- बैठ्यो अँगना मे पिय आय परदेसन सोँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- वे उनसोँ रति को उमहैँ वे उनसोँ विपरीत को रागैँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- सरकै अंग अँग अथै गति सी मिसि की रिसकी सिसिकी भरती / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- आई चलि काल्हि ही तू मायके तेँ एरी अलि / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- रितु पावस आई या भागन ते संग लाल के कुंजन मेँ बिहरौ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- दाजन दै दुर जीवन कौँ अरु लाजनि दै सजनी कुल वारे / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- धनि वै जिन प्रेम सने पिय के उर मे रस बीजन बोवती हैँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- मोर को मुकुट सीस भाल खौरि केसर की / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- बैठी मँच मानिक को फेरत रई को / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- ऊँची सी उसासैँ लै लै पूछत है परोसिन सोँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- जे ते गजगौनी के नितँब हैँ विशद होत / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- लटकी लरक पर भौँह की फरक पर / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- कोमल अमल दल कमल नवल कैँधौँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- अँबुज कँज से सोहत हैँ अरु / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- आनँद को कँद बृषभानुजा को मुखचँद / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- बनवासी किये सुक पीठ निवासी / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- कैँधोँ तुव चाकर चतुर अनियारे पैठि / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- कैँधौँ दृग सागर के आस पास स्यामताई / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- कान्ह की बाँकी चितौनि चुभी झुकि / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- आधे चंद्रमा के रूप ढाके केश घटा कैंधौँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- कज्जल के कूट पर दीप शिखा सोती है कि / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- कँज से चरण देव गढ़ी से गुलफ शुभ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- तीनिहुँ लोग नचात फूँक मेँ मंत्र के सूत अभूत गती है / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- मदन को मद मतवारी झूमि झाँकै / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- चँदमयी चम्पक जराव जरकस मयी / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- फूँकि आई सबै बन को / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- जाके लगे गृहकाज तजे अरु मातु पिता हित नात न राखै / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- ललित लवँग लतिका सी है लचीली बाल / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- कुँद की कली सी दँत पाँति कौमुदी सी दीसी / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- गही जब बाँहीँ तब करी तुम नाँहीँ / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- गौन कियो जब गौने की रैनि अली मिलि केलिनि लै ही चली है / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- जगमगी कचुँकी पसीजी स्वेद सीकरनि / अज्ञात कवि (रीतिकाल)
- नित चातक चाय सोँ बोल्यो करै मुरवान को सोर सुहावन है / अज्ञात कवि (रीतिकाल)