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दो कतआ़त / यगाना चंगेज़ी

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सब तेरे सिवा काफ़िर, आख़िर इसका मतलब क्या!

सिर फिरा दे इन्साँ का ऐसा ख़ब्ते-मज़हब क्या!!


मजाल थी कोई देखे तुम्हें नज़र भरकर।

यह क्या है आज पडे़ हो मले-दले क्योंकर॥