Last modified on 21 जुलाई 2009, at 19:01

तितली / केशव शरण

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:01, 21 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव शरण |संग्रह=जिधर खुला व्योम होता है / केशव श...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तितली !
इस ख़ूबसूरत शय ने
मुझे छला है कितनी बार
हथेलियाँ मेरी खरोंचों से भर गई हैं तब

और वह उड़कर
दूसरे फूल पर जा बैठी है