- हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम की अंजुमन में नहीं / आरज़ू लखनवी
- आके क़ासिद ने कहा जो, वही अक्सर निकला / आरज़ू लखनवी
- नादाँ की दोस्ती में जी का ज़रर न जाना / आरज़ू लखनवी
- दिल का जिस शख़्स के पता पाया / आरज़ू लखनवी
- यह मेरी तौबानतीजा है बुख़लेसाक़ी का / आरज़ू लखनवी
- हिम्मते-कोताह से दिल तंगेज़िन्दाँ बन गया / आरज़ू लखनवी
- जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक / आरज़ू लखनवी
- जो मेरी सरगुज़िश्त सुनते हैं / आरज़ू लखनवी
- मुझ ग़मज़दा के पास से सब रो के उठे हैं / आरज़ू लखनवी
- तुम हो कि एक तर्ज़े-सितम पर नहीं क़रार / आरज़ू लखनवी
- खुद चले आओ या बुला भेजो / आरज़ू लखनवी
- क़फ़स से ठोकरें खाती नज़र जिस नख़्लतक पहुंची / आरज़ू लखनवी
- / आरज़ू लखनवी