Last modified on 6 नवम्बर 2009, at 00:55

रंग-1 / जया जादवानी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:55, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रंग बहते हैं
नीले घेरे के भीतर
मैं प्रतीक्षारत हूँ
तोड़कर घेरा
नीला घेरे लाल को
या लाल ही बढ़कर आगे
तोड़ दे तपस्या उसकी।