Last modified on 6 नवम्बर 2009, at 01:03

रंग-4 / जया जादवानी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:03, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रंग बहते हैं तो
उसके हाथ ले लेते हैं पत्तियों का आकार
रंग बहते हैं तो
उसका चेहरा फूल हो जाता है
रंग बहते हैं तो
देह उसकी हो जाती है सरोवर
रंग बहते हैं तो
तीसरी डुबकी लेती हूँ मैं
अंतर्धान हो जाती हूँ।