Last modified on 12 नवम्बर 2009, at 02:27

प्रेम अंकुरण / मोहन सगोरिया

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:27, 12 नवम्बर 2009 का अवतरण ("प्रेम अंकुरण / मोहन सगोरिया" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फूल के भीतर
प्रेम है फल

फूल के भीतर
प्रेम है बीज

बीज के भीतर
प्रेम है वृक्ष

वृक्ष के भीतर
प्रेम है जीवन

जीवन के भीतर
प्रेम है संसार

संसार के भीतर
प्रेम नहीं
...तो निस्सार

बहुत गहरे धँसा है प्रेम।