Last modified on 18 दिसम्बर 2009, at 03:15

अब भी / संज्ञा सिंह

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:15, 18 दिसम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संज्ञा सिंह }} {{KKCatKavita‎}} <poem> पेड़ के आख़िरी पात की तर…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पेड़ के
आख़िरी पात की तरह
हिलना चाह रहा है
कोई विचार

बरसात के
आख़िरी बादल की तरह
उठाना चाह रहा है
कोई सपना

ज़िन्दगी की
आख़िरी साँस की तरह
आना चाह रही है
कोई उम्मीद


रचनाकाल : 1994, जौनपुर