प्रभू मोरे अवगुण चित न धरो । समदरसी है नाम तिहारो चाहे तो पार करो ॥ एक जीव एक ब्रह्म कहावे सूर श्याम झगरो । अब की बेर मोंहे पार उतारो नहिं पन जात टरो ॥ कविता कोश में सूरदास