Last modified on 2 फ़रवरी 2010, at 19:32

गरज-बरस / निदा फ़ाज़ली

Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:32, 2 फ़रवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

गरज-बरस प्यासी धरती पर
फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाने, बच्चों को
गुड़धानी दे मौला

दो और दो का जोड़ हमेशा
चार कहाँ होता है
सोच-समझवालों को थोड़ी
नादानी दे मौला

फिर रौशन कर ज़हर का प्याला
चमका नयी सलीबें
झूठों की दुनिया में सच को
ताबानी दे मौला

फिर मूरत से बाहर आकर
चारों ओर बिखर जा
फिर मन्दिर को को‌ई मीरा
दीवानी दे मौला

तेरे होते को‌ई किसी की
जान का दुश्मन क्यों हो
जीनेवालों को मरने की
आसानी दे मौला